ICJ में पहली बार भारत से हार ब्रिटेन हुआ बहार





नई दिल्ली (21 नवंबर): भारत पर करीब 300 साल तक राज करने वाला ब्रिटेन पहली बार ICJ से बाहर हो गया है। 1946 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का गठन हुआ था, जिसके बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब यहां से ब्रिटेन बाहर हुआ हो। भारत के दलवीर भंडारी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के जज के तौर पर दोबारा चुने गए हैं।


हालांकि कड़ा मुकाबला देखते हुए ब्रिटेन ने जज की आखिरी सीट के लिए अपने उम्मीदवार को चुनाव से हटा लिया। भंडारी को जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है। पीएम ने ट्वीट कर कहा, 'जस्टिस दलवीर भंडारी को ICJ में दोबारा जज चुने जाने पर बधाई। उनका दोबारा चुना जाना हमारे लिए गर्व का क्षण है।' पीएम ने साथ ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनकी पूरी टीम को भी इस जीत के लिए बधाई दी।

कूटनीतिक जानकारों का कहना है कि यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के अलग हटने के चलते उसकी ताकत कम हुई और इसी के चलते उसे चुनाव से अपने उम्मीदवार को हटाना पड़ा। नीदरलैंड के हेग स्थित संयुक्त राष्ट्र की सबसे बड़ी न्यायिक संस्था आईसीजे में 15 जज होते हैं। यह संस्था दो या उससे अधिक देशों के बीच के विवादों के निपटारे करने का काम करती है। हर तीन साल बाद आईसीजे में 5 जजों का चुनाव होता है। इन जजों का कार्यकाल 9 साल का होता है।

चार राउंड की वोटिंग के बाद फ्रांस के रूनी अब्राहम, सोमालिया के अब्दुलकावी अहमद युसूफ, ब्राजील के एंटोनियो अगुस्टो कैंकाडो, लेबनान के नवाफ सलाम को गुरुवार को आईसीजे के जज के तौर पर चुन लिया गया। इसके बाद आखिरी बची सीट पर भारत और ब्रिटेन के बीच कड़ा मुकाबला था। ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड और भारत के दलवीर भंडारी दोबारा निर्वाचन के लिए मुकाबले में थे। 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में ग्रीनवुड को सुरक्षा परिषद में बहुमत मिलता दिख रहा था, जबकि 193 देशों की आम महासभा में भंडारी को समर्थन था। लेकिन, अंत में सुरक्षा परिषद में भी भंडारी को सपॉर्ट मिला, जबकि कमजोर समर्थन के चलते ब्रिटेन को ग्रीनवुड्स की उम्मीदवारी वापस लेनी पड़ी।


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