भगवान शिव का शेर कि खाल धारण के पिछे का रहस्य.
भगवान शिव का शेर की खाल धारण करने के पीछे का रहस्य
Raftaar News : पूरी दुनिया में हिंदू धर्म को बहुत ही पुराना और सबसे पहला धर्म बताया जाता है। हमारे हिंदू धर्म में कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है जिस कारण आज के युवाओं को इनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।
सभी देवताओं में एक अलग किस्म के भगवान की भी पूजा की जाती है जो बाकी के देवताओं से बहुत ही अलग दिखते हैं। उस अद्भुत भगवान का नाम शिव है जिनकी पूजा महिलाओं से लेकर पुरूष तक करते हैं।
अगर सच में कहा जाए तो भगवान शिव का रूप वाकई अद्भुत है। पौराणिक कथाओं एवं कहानियों में भगवान शिव के जिस प्रकार के रूप का वर्णन हमें मिलता है, वह सच में आश्चर्यजनक है। एक हाथ में डमरू तो एक में त्रिशूल है, गले में सर्प और जटाओं में गंगा की धारा। शरीर पर भस्म और शेर की खाल लपेटी है।
इस वेशभुसा के पीछ एक रहस्य भी छिपा है जिसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे। क्या आपने कभी सोचा की भगवान शिव शेर की खाल क्यों पहनते हैं। भगवान शिव से जुड़ी एक कथा है जिसमें उनके इस रहस्य का जिक्र किया गया है।
हम जहां भी भगवान शिव को देखते हैं तो उनकी मूर्ति हमेशा शेर के खाल में ही नजर आती है। शिवजी की जितनी भी तस्वीरें देख लें, उनमें या तो वे शेर की खाल पहने हुए हैं या फिर उस पर विराजमान रहते हैं। उनका शेर की खाल से क्या संबंध है आज आपको पता चल जाएगा।
शिव पुराण में भगवान शिव और शेर से संबंधित एक कथा दर्ज है। इस पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव एक बार ब्रह्मांड का गमन करते-करते एक जंगल में पहुंचे जो कि कई ऋषि-मुनियों का स्थान था। यहां वे अपने परिवार समेत रहते थे। भगवान शिव इस जंगल से निर्वस्त्र गुजर रहे थे, वे इस बात से अनजान थे कि उन्होंने वस्त्र धारण नहीं कर रखे।
शिवजी का सुडौल शरीर देख ऋषि-मुनियों की पत्नियां उनकी ओर आकर्षित होने लगी। वह धीरे-धीरे सभी कार्यों को छोड़ केवल शिवजी पर ध्यान देने लगीं। तत्पश्चात जब ऋषियों को यह ज्ञात हुआ कि शिवजी के कारण (जिन्हें ऋषि एक साधारण मनुष्य मान रहे थे) उनकी पत्नियां मार्ग से भटक रही हैं तो वे बेहद क्रोधित हुए।
सभी ऋषियों ने शिवजी को सबक सिखाने के लिए एक योजना बनाई। उन्होंने शिवजी के मार्ग में एक बड़ा गड्ढा बना दिया, मार्ग से गुजरते हुए शिवजी उसमें गिर गए। जैसे ही ऋषियों ने देखा कि शिवजी उनकी चाल में फंस गए हैं, उन्होंने उस गड्ढे में एक शेर को भी गिरा दिया, ताकि वह शिवजी को मारकर खा जाए।
लेकिन आगे जो हुआ उसे देख सभी चकित रह गए। शिवजी ने स्वयं उस शेर को मार डाला और उसकी खाल को पहन गड्ढे से बाहर आ गए। तब सभी ऋषि-मुनियों को यह आभास हुआ कि यह कोई साधारण मनुष्य नहीं है।
इस पौराणिक कहानी को आधार मानते हुए यह बताया जाता है कि क्यों शिवजी शेर की खाल पहनते हैं या फिर उस खाल के ऊपर विराजमान होते हैं।
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