दिल मे बसने वालो ने दिल तोड़ा जिसका कही जिक्र नही उन्होने ही लाज बचाई.


एक खेल पत्रकार के तौर पर जब एक दिन में तीन-तीन बड़े मुकाबले सामने हों तो काम के साथ-साथ उत्साह भी होता है..लेकिन हमेशा की तरह अजीब तब लगता है जब ज्यादातर लोगों को सिर्फ एक ही मुकाबले के बारे में पता हो। अब इसे क्रिकेट को लेकर सालों से पनपती दीवानगी कहें या अन्य खेलों को मिलता न के बराबर समर्थन। कहानी रविवार को पूरी तरह बदल गई, जब नजरअंदाजी के बावजूद रईस क्रिकेट पर भारी पड़ गए अन्य खेलों के धुरंधर।


- भारत Vs पाकिस्तान (क्रिकेट)


आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में भारत और पाकिस्तान पहुंचे तो आंकड़े खंगालने की जरूरत नहीं पड़ी। सब जानते थे कि आइसीसी के टूर्नामेंट में हमेशा भारत ही भारी पड़ता है। भारत ने टॉस जीता और सीना चौड़ा करके फील्डिंग का फैसला किया। पाकिस्तान के सलामी बल्लेबाजों फखर जमान (114) अजहर अली (59) ने तो धुनाई की, बाद में मोहम्मद हफीज (नाबाद 57) ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। आलम ये रहा कि स्कोर 50 ओवर में 4 विकेट पर 338 रन तक जा पहुंचा। जवाब में उतरी भारतीय टीम उम्मीदों के दबाव में ऐसा दबी कि 158 रनों पर पस्त होकर 180 रनों से मैच गंवा दिया।


- किदांबी श्रीकांत (बैडमिंटन)


जब इंग्लैंड में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच शुरू हुआ था उसके थोड़ी देर बाद ही जकार्ता (इंडोनेशिया) से एक अच्छी खबर आई। ज्यादातर भारतीय क्रिकेट प्रेमियों का ध्यान इस तरफ नहीं गया होगा लेकिन आंध्र प्रदेश के छोटे से शहर गुंटुर का 24 वर्षीय बैडमिंटन खिलाड़ी इतिहास रच चुका था। किदांबी श्रीकांत ने शनिवार को इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज सेमीफाइनल में कोरिया के विश्व नंबर.1 खिलाड़ी को हराया और रविवार को जापान के खिलाड़ी को फाइनल में हराकर अपना दूसरा सुपरसीरीज खिताब जीत लिया।


- भारत Vs पाकिस्तान (हॉकी)


भारतीय समय के मुताबिक शाम 6.30 बज चुके थे। लंदन के ओवल मैदान पर भारतीय क्रिकेट टीम की अब भी धुनाई हो रही थी। इसी बीच वहां से तकरीबन 16 किलोमीटर दूर लंदन के ली वैली हॉकी एंड टेनिस सेंटर पर हॉकी वर्ल्ड लीग में भारत और पाकिस्तान की हॉकी टीमें आमने-सामने थीं। भारत ने इस मैच में पाकिस्तान की टीम को पूरी तरह पस्त कर दिया। भारतीय टीम ने ये मैच 7-1 से अपने नाम किया। करोड़ों फैंस जहां विराट की अुगआइ वाली भारतीय क्रिकेट टीम से उम्मीदें लगाए बैठे थे, उन्होंने तो दिल जीता नहीं लेकिन हॉकी और बैडमिंटन में जिनको नजरअंदाज किया गया था, उन्होंने देश की लाज रख ली।

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