एक न्याय इसे भी चाहिए... दुनियावालो.

अनुराग श्रीवास्तव 20 मई 11:36 am 
निर्भया कांड मे दोषियों को सजा मिल गई तो हमें लगा कि चलो ज्योति सिंह पांडे उर्फ़ निर्भया को इंसाफ़ मिल गया. पर क्या सच मे इंसाफ़ मिल गया ये तो अब उसकी आत्मा ही जाने. छः मे से एक ने फाँसी लगा खुद को सजा दे दी एक को नाबालिग होने का फ़ायदा मिला. खैर चलो पाँच साल बाद ही सही इंसाफ़ तो मिल गया अब देखना है कि सजा पर अमल कब तक होता है, क्योंकि अब तक भारत मे कुल 1300 केस फाँसी के निलंबित है. फिर भी एक तरह से कहा जा सकता है कि इस केस का फैसला हो गया.



पर एक और कोई है जिसे इंसाफ़ चाहिए, पिछले छः सालों से उसकी आत्मा भी न्याय के लिये भटक रहा है.  हम बात कर रहे है अपने शहर मुजफ्फरपुर बिहार कि उस मासूम सी बच्ची नवरुणा कि जिसे मालूम भी ना था कि 18 सितंबर 2012 कि वो काली रात उसकी ज़िन्दगी कि अंतिम काली रात बन जायेगी. किसी ने उसे सोते हुये ही उसके कमरे से उसे अगवा कर ले जाता है, साथ ही साथ उसके सारे सपने भी चुरा ले जाता है जो उसके आँखों मे पल रहे थे, सुबह होती है और शुरु होती है शहर मे एक नई कहानी, नवरूणा चक्रवर्ती कि रातों रात गायब होने कि कहानी. परिवार मे चित पुकार शुरु हो चुका था. 
सेंट जेवियर्स कि सातवीं कक्षा मे पढने वाली बारह साल कि वो लड़की अचानक कैसे गायब हो गई ये एक बड़ा सवाल था, क्योंकि जिस तरीके से उसे गायब किया गया था वो चौकाने वाला था. स्थानिय पुलिस ने छानबीन कि.

कई दिनो बाद एक कंकाल मिला अब और भी मुश्किलें बढ़ गई, पुलिस इसकी पहचान करना चाहती थी पर नवरूणा के माता पिता इसके लिये तैयार नही थे उनका मानना था कि उनकी बेटी मर नही सकती. सीबीआई जांच करने आई बड़ी मुश्किलों के बाद डीएनए टेस्ट हुआ और वो सच सामने आया जिसकी आशंका थी वो कंकाल नवरूणा का ही था. अब कहानी ने नई मोड़ ले ली थी, अब सवाल ये था कि उसका हत्यारा कौन था, जांच मे कई सारी बाते ऐसी आई जिसने कई सारी आशंकाओ को पैदा किया.

अबतक कि जांच मे क्या नतीजा निकला है ये सब को पता है, कुछ भी नही मामला शिफर का शिफर ही है, अब कोई कार्यवाही हो भी रही है कि नही ये भी पता नही.
बहुत से केस है मुजफ्फरपुर के जो अनसुलझी दासता बन कर रह गये है, पुलिस या सीबीआई शायद इतनी कमजोर हो चुकी है कि इसे सुलझाने मे कि उन्होंने इसे ठंडे बस्ते मे डालना ही मुनासिब समझते है.

देखना ये है कि ये केस कब सुलझता है, या नही सुलझता या ऐसी ही रह जाती है ये कहानी.

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