झारखंड: जमशेदपुर के प्रो. दिगंबर हांदसा को मिला पद्मश्री सम्मान



विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट सेवाओं और उल्लेखनीय कार्यों के लिए  दिए जाने वाले पद्म सम्मान का ऐलान कर दिया  गया है। इनमें जमशेदपुर के संताली भाषा के विद्वान प्रो. दिगंबर हांदसा को पद्मश्री सम्मान मिला है। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रो. हांदसा को यह सम्मान मिला है। उन्होंने भारतीय संविधान का संताली भाषा में अनुवाद करने के साथ ही कई पुस्तकें भी लिखीं हैं।
अभी बहुत कुछ करना है :  पद्मश्री सम्मान मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अभी संताली भाषा के लिए बहुत कुछ करना है। यह एक पड़ाव है। सम्मान मिलने की घोषणा सुनकर अच्छा लग रहा है और यह खुशी की बात है। उन्होंने बताया कि सुबह 11 बजे उन्हें इसकी जानकारी मिल गई थी। यह बात उन्होंने अपने परिवार के लोगों को भी बताई।
उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी पार्वती हांसदा की मृत्यु कई साल पहले हो गई थी। परिवार में दो बेटे और दो बेटियां हैं। एक बेटी तुलसी हांदसा की मृत्यु हो चुकी है। बड़े बेटे का नाम पूरन हांसदा है, जिनका पेट्रोल पम्प है। छोटा बेटा कुंवर हांसदा मुम्बई में इंजीनियर है। अन्य बेटियों के नाम सरोजनी हांसदा और मयोना हांसदा है। आदिवासियों और उनकी भाषा के उत्थान के क्षेत्र में प्रोफेसर दिगंबर हांसदा का महत्वपूर्ण योगदान है। वे केन्द्र सरकार के आदिवासी अनुसंधान संस्थान के सदस्य रहे और उन्होंने सिलेबस की किताबों का देवनागरी से संताली में अनुवाद किया।
इसके अलावा राज्य सरकार के अधीन उन्होंने इंटरमीडिएट, स्नातक और स्नातकोत्तर के लिए संताली भाषा का कोर्स संग्रहित किया। दिगंबर हांसदा एलबीएसएम कॉलेज के प्राचार्य रह चुके हैं और वर्तमान में कोल्हान विवि के सिंडिकेट सदस्य हैं।
परिचय
-16 अक्तूबर 1939 को जमशेदपुर के मानगो स्थित बेको क्षेत्र के दोवापानी गांव में उनका जन्म हुआ।
- प्रमुख पुस्तकें: सरना गद्य-पद्य संग्रह, संताली लोककथा संग्रह, भारोतेर लौकिक देव देवी, गंगमाला।
- वर्तमान पता: करनडीह।
- शिक्षा: प्रारंभिक शिक्षा राजदोहा मध्य विद्यालय से हुई। इसके बाद मानपुर हाईस्कूल से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर किया। उनका विशेष विषय पोलिटिकल साइंस था।

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